दरवाज़े के सामने रखा जाए या खिड़की से दूर? क्या बिस्तर के लिए एक आदर्श स्थिति है जिस पर सभी विशेषज्ञ सहमत हो सकते हैं? कभी-कभी सबसे आसान सवाल जवाब देने के लिए सबसे मुश्किल हो सकते हैं। मुझे अपना बिस्तर कहां रखना चाहिए?
इस विषय में वास्तु विशेषज्ञों के अपने विचार हैं और आतंरिक सज्जाकारोके अपने जो कई बार विरोधाभासी हो सकते हैं। सामान्य समाधानों का पता लगाने और आर्किटेक्ट्स, डिजाइनरों, मनोवैज्ञानिकों और फेंग शुई तथा वास्तु विशेषज्ञों से उनके पीछे की सोच जानने के लिए इस विचार पुस्तक को पढ़ें।
पारंपरिक ज्ञान के मुताबिक बिस्तर को हमेशा द्वार के विमुख होना चाहिए लेकिन वास्तव में यह हमेशा सबसे अच्छा समाधान नहीं होता क्योंकि यह विचार बेडरूम और आस-पास के कमरों के लेआउट पर निर्भर करता है। जापान के वास्तु शास्त्र फेंग शुई के मुताबिक जीवन ऊर्जा बेडरूम की मुख्य दीवार से बिस्तर को लगाने से उत्पन्न होती है पर ध्यान रहे के उस दीवार के अंदर कोई पानी के पाइप या गैस के पाइप न गुज़र रहे हों। वैसे आंतरिक सज्जाकार मानते हैं कि बिस्तर की स्थिति बेडरूम के आकार और अनुपात पर निर्भर करती है। अगर फर्श योजना वर्ग है, तो केंद्रीय अक्ष पर बिस्तर रखना चाहिए और अगर शयनकक्ष आयताकार है तो कमरे को विभाजित किया जा सकता है जिसमे एक क्षेत्र में बिस्तर होगा और दूसरे में कुर्सी और टेबल।
यदि घर में बड़े और सामंजस्यपूर्ण अनुपात वाले बेडरूम हैं, तो डिजाइनर बिस्तर को द्वीप की तरह रखने की सलाह देते हैं ताकि यह कमरे के बीच एक एहम क्षेत्र के तरह रखा जाए जिससे उस क्षेत्र के विशाल जगहों में खालीपन और फर्नीचर की कमी का सामना न करना पड़े। हालांकि, यह आधुनिक बैडरूम डिज़ाइन हमेशा सर्वोत्तम नहीं होता है क्योकि ज़्यादातर बिस्तर को मुख्य दीवार के खिलाफ सिरहाने की स्थिति सबसे लोकप्रिय समाधान है।
परम्परानुसार बिस्तर से दरवाजे के बाहर का दृश्य अच्छा तरह से दिखना चाहिए लेकिन बाहर से पूरा बिस्तर खुले दरवाजे के बाहर नहीं दिखना प्राथमिक आवश्यकताएं होती हैं। बिस्तर नींद के अवचेतन रूप से हमें व्यावहारिक विकल्पों की ओर ले जाता है इसीलिए 'असुरक्षित' क्षेत्र' जिसमें दरवाजे और खिड़कियां शामिल हैं उनसे दूर रखना चाहिए। कुछ संस्कृतियों के अनुसार इन क्षेत्रों से घुसपैठिए प्रवेश कर के वार कर करते हैं इसीलिए इनसे दूरी बनाये रखना सुरक्षा के नज़र से ज़रूरी मन गया है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बिस्तर को जितना संभव हो सके दरवाजे से दूर रखें पर यह सुनिश्चित कर लें कि सोने की स्थिति में भी दरवाजा से बहार के क्षेत्र को देखा जा सके। कमरे में अगर खिड़की है, तो बिस्तर से दरवाजे और खिड़की के बाहर दोनों ओर के दृश्य दिखाई देने चाहिए। सज्जाकारो का कहना है की ऐसा करने से दोनों क्षेत्रों से अंदर आने वाली रौशनी सोने वालो को नींद में खलल नहीं डालेगा। इसके कारन दरवाजे के साथ एक दीवार के खिलाफ स्थित बिस्तर सबसे लोकप्रिय विकल्प माना जाता है।
परम्परानुसार बिस्तर में सोनेवालों के पैर कभी दरवाजे के सामने नहीं होने चाहिए लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता क्योकि कभी ड्रेसिंग रूम या बाथरूम के दरवाजे पैर के सामने पड ही जाते हैं। इसीलिए लोग अक्सर कोशिश करते हैं के बैडरूम के मुख्य द्वार के ओर पैर न हों क्योकि कुछ एशियाई परम्पराओं में दरवाज़े की ओर पैरों के तलवों दिखाना बुज़ुर्गो का अपमान मन जाता है। रुसी परंपरा में मृतकों के शव को पैरों की ओर से घर के बाहर लेजाया जाता है इसीलिए शयनकक्ष में बिस्तर का सिरहाना न ही पैरों का हिस्सा दरवाज़े के ओर रखना चाहिए।
जिस तरह वास्तु शास्त्र में बिस्तर के विपरीत दर्पण डालना अशुभ माना जाता है उसी तरह फेंग शुई में बिस्तर को झूमर या छत के बीम के नीचे रखना तथा दो दरवजाओ के बीच नहीं रखना चाहिए। पर छोटे कमरों में ये सब मान्यताओं को पालन करके रहना मुश्किल होता है इसीलिए ज़रूरतानुसार माजूदा हालात से समझौता करना पड़ता है।
कुछ संस्कृतियों में बिस्तर को एक विशेष स्थिति या दिशा में रखने की परंपरा है लेकिन ये हर समय में संभव नहीं होता। इसीलिए जापानी परंपरा में किसी भी दिशा में सो सकते हैं सिर्फ ध्यान रहे की सिर उत्तर की ओर न हो क्योकि परंपरागत रूप से उनके यहाँ एक मृत को सिर के साथ उत्तर की तरफ रखते हैं, इसलिए यह मृत्यु का संकेत है।
भारत में इस तरह की कोई परंपरा नहीं है और कुछ सज्जाकार मानते हैं की भूगर्भीय प्रभावों के कारण ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए वैज्ञानिक रूप से अच्छा होता है। इसके अनुसार बिस्तर के सही स्तिति इस्तेमाल करनेवाले की व्यक्तिगत इच्छा के मुताबिक होना चाहिए ताकि पृथ्वी की चुंबकीय शक्ति का उपयोग करने में वो सक्षम हो।
देखा गया है की ज़्यादातर लोग सहूलियत की मुताबिक बिस्तर का सिरा उत्तर की ओर रखते हैं। क्योकि ज़ियादतर जब लोग थके हुए होते हैं, तो वे पूर्व की तरफ सोते हैं पर लेकिन जो लोग उत्साहित मनोस्तिति में सोने जाते हैं वे अपने सिर को उत्तर दिशा के सामने रखते हैं।
पारंपरिक सज्जाकारो का मानना है की यदि बैडरूम की खिड़की से एक मनोरम दृश्य दिखता है तो बिस्तर उसके पास ही लगाए ताकि उठते साथ उस मनोरम दृश्य को देखकर मन प्रफुल्लित हो और दिन आनंदमय गुज़रे। खिड़की से सुबह के सूरज का सामना करने के बजाय हरे जंगल, पहाड़ या नदी का नज़ारा दिखाए तो अच्छा है। यदि शयनकक्ष की खिड़की पूर्व की ओर है, तो उसके करीब बिस्तर रखने से सूरज के किरणों वाली असुविधा हो सकती है इसीलिए खिड़की पर स्थायी रूप से पर्दा लगाना ठीक होगा ताकि सुंदर सूर्योदय को देखने का मौका बर्बाद न हो।
खिड़कियां घर में ताज़ी हवा लेकर गर्मी को दूर करने का प्रमुख स्रोत हैं इसीलिए इन्हे शयनकक्ष में ऐसे दिशा में रखना चाहिए की हर समय ठंडी हवा की गति बनी रहे। क्योकि बैडरूम आराम का क्षेत्र है वहां इलेक्ट्रॉनिक चीज़ो को कम ही रखें ताकि मन विचलित न हो। नींद विशेषज्ञों का कहना है की शयनकक्ष नींद के लिए है सिनेमा के लिए नहीं इसीलिए यहाँ टेलीविजन, कंप्यूटर, इत्यादि वस्तुओ को न रखना ही उचित होगा।
बैडरूम को डिजाइनर की सहायता से फेंग शुई सिद्धांत या वास्तुकला के नियमों पर रची जा सकती है। अगल बिजली के सॉकेट, स्विच, लाइटिंग इत्यादि खूबसूरत बड़े सजावटी पैनल सभी एक अलग दीवार पर लगे हुए है। लेकिन हर कोई ऐसा स्थान चाहता है जहा हमेशा ऊर्जा के स्तर उच्चतम होने के साथ सजावट और आराम भी पूर्णतः प्राप्त हो। सबसे सही बिस्तर स्थल वो है जो कमरे के अव्यवस्था से दूर दीवार के पास लगा हो।
रूमानी बैडरूम विचारो के लिए इस विचारपुस्तक को ज़रूर देखें